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हमें तो अपनों ने लूटा…

Kuran ko Jalaa Do ... BuT क्यूँ ?
Kuran ko Jalaa Do ... BuT क्यूँ ?
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हमें तो अपनों ने लूटा

आज हम कुछ खास विषय पर चर्चा करेंगे .

दरअसल हम माने तो जिंदगी में दो चीज़ हमें कभी नहीं छोड़ सकती और वो है हार और जित.

जो की इंसानियत  को गन्दा कर देती है ,और जिसकी वजह से लोग पाप तक करने लगते है .

ये होता क्यूँ …..

जीत, हार का उल्टा होता है  …मतलब साफ है जिस चीज़ की मजबूती से लोग जीतते है ठीक उसी की कमजोरी से हारते है …..

अगर मैं केवल हार पर चर्चा करूँ तो जित के लिए ठीक उसका उल्टा समझना…..

हम जिस तरह अपने जीत  का जश्न मनाते है उसी प्रकार हार पर विलाप ..

आप लोगों को बता दूँ की हमारी हार में हमारा ही हाथ होता है …

कभी इंटर्नल फ़ोर्स तो कभी एक्सटर्नल फ़ोर्स के कारण हारते

इंटर्नल से आप अपनी कमियों को मान सकते है और एक्सटर्नल में आपके सपोर्टर या फिर पारिवारिक हेल्प.

अगर मैं यहाँ ये पंक्ति दुहरायें तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं…

हमें तो अपनों ने लुटा, गैरों में कहाँ दम था.

मेरी कश्ती थी डूबी वही,जहाँ पानी कम था.

अगर आपको अपनों का सहारा मिले तो आप विश्वजीत मतलब विश्व पर राज कर सकते है …

आप लोंगो को बता दूँ की एक की हार दुसरे की जित होती है .

हम अक्सर हार को अपनी गलती या कमी मान कर निराश हो जाते लेकिन नहीं हमारे हार में सबसे बड़ा हाथ हमारे सपोर्ट  का मतलब हमारा ही हाथ होता है .

उदाहरण

अब जरा सोचो यदि आप किसी टीम का कैप्टन होते और आप 11  खिलाड़ी है जाहिर सी बात है सामने वाला भी सेम होगा ,और आपके दो खिलाड़ी फिक्स हो जाएँ ऐसे में सामने वाला 11 है और आप 9 .

जाहिर है की आप हारोगे ,तो आप हारे कैसे ?

कभी खुद ने तो, कभी हालात ने लूटा .

कभी होली के दिन तो , कभी दीवाली के रात ने लूटा.

मैं अपना फसाना तुम्हे क्या सुनाऊं यारों.

कभी उनकी जुदाई तो कभी मुलाकात ने लूटा.

अपनों  की कमी से ,अपनों की वजह से …

इसके तमाम उदाहरण हमारे पुराणों में भी मिलते है.

जैसे

भिविषण की वजह से रावण हारा ,शुग्रिव की वजह से बाली हारा.

और वही परंपरा आजतक चलती आ रही है .

हम जब फेल होते हैं तो अपनी  कमियों को दूर करके फिर से परीक्षा देते है और पास हो जाते है .

इसका मतलब  साफ़ है की हम खुद को सुधारें, अपनों को सुधारे फिर हम कभी हार ही नहीं सकते.

और ध्यान रखिये आप जिसकी वजह से हारेंगे तो किसी के हार का इंटर्नल या  एक्सटर्नल हिस्सा आप भी हैं.

इसलिए न आप हारें और न ही दूसरों को हारने दे .

One thinking can change world!

इसलिए हम एक दुसरे का सहयोग करे ! और हार नाम के शब्द को ही मिटा दे, क्यूंकि जहाँ हार-जीत है वहां करप्सन है .

और करप्सन बोले तो प्रलय .इसलिए change  yourself .

और ध्यान रहें हमें हमारे ही  लोग हराना चाहते है, इसलिए जरुरत है सतर्क रहने की .

अब अगली बार फिर कोई रोचक विषय पर चर्चा करेंगे

धन्यबाद !

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