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देश भक्ति में चार लाइन ,मुझे यकीन है की आप लोगों को जरुर पसंद आएगा .
किसी ने कुछ बनाया था, उसी को हम बनाएंगे .
उजड़ी पहले जो ,मंज़िल थी , उसे फिर से सजाएँगे,
जो,वर्षों कुछ बनाया था ,उसी को हम बनाएँगे
किसी ने कुछ बनाया था, उसी को हम बनाएंगे .
न तब पूछा था हमसे वो, न हम उनसे अब पूछेंगे .
हमेशा फैसले करके, हमें यूं ही रुलाया ये …
जो वर्षों, कुछ बनाया था ,उसी को हम बनाएँगे
किसी ने कुछ बनाया था, उसी को हम बनाएंगे.
भले फुर्सत नही हमको , देखें रोटी की गोलाई ,
लेकिन क्या आप रोटी संग, चिटी,मच्छर कभी खाई ?
हमे मालूम है की कौन, उलझाता है इन धागो को.
अगर उनकी ये साजिश है,तो हमारी भी ये अब ज़िद है.
अजब इस सिलसिला का हम, नाम-ओ-निशाँ मिटा देंगे.
जो वर्षों, कुछ बनाया था ,उसी को हम बनाएँगे
किसी ने कुछ बनाया था, उसी को हम बनाएंगे
वो कहते हैं, तुम्हारा है, जरा तुम एक नजर डालो,
वो कहते हैं, बढ़ो, मांगो, जरूरी है, न तुम टालो,
यही वो वक्त है की तुम कोई अब फ़ैसला ले लो ,
जरा ठहरो, जरा सोचो, फिर वो हौसला ले लो .
मेरे आँगन मे जिसने भी , लाया है जो शोले ये.
उसी शोले मे उनको हम , अब ज़िंदा जलाएँगे ,
किसी ने कुछ बनाया था ,उसी को हम बनाएँगे …
ज़रूरत पर हम हिंदू है ज़रूरत पर मुशलमां भी ,
ज़रूरत पर हम रामा है , ज़रूरत पर पैगंबर भी.
मगर बर्दास्त नही होती, जो शोला वो भड़काये है,
चरागों के जगह पर भी, मशाले ही जलाए है.
अब असली दर्द बोलेंगे , जो दिल मे छुपाए है ,
जो वर्षों, कुछ बनाया था ,उसी को हम बनाएँगे
किसी ने कुछ बनाया था, उसी को हम बनाएंगे .
हम कब तक चुप रहें ,कोई मुझे आकर बता जाए ,
वर्षों पहले जो उजड़ी थी ,मेरी दुनियाँ,सज़ा जाएँ .
जो खोई थी अमन हमने ,उसे हम ढूँढ लाएँगे ,
बहुत अब हो गया नाटक ,अब हम परदा गिराएँगे …
जो वर्षों, कुछ बनाया था ,उसी को हम बनाएँगे
किसी ने कुछ बनाया था, उसी को हम बनाएंगे .
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