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मेरा यार गया…

Kuran ko Jalaa Do ... BuT क्यूँ ?
Kuran ko Jalaa Do ... BuT क्यूँ ?
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आप सभी आदरणीय, “अमित देहाती” का  नमस्कार स्वीकार करें …………. !!!!!!!!!!!

 बड़े  उम्मीद से एक बार फिर ये "देहाती" अपनी बिखरी हुई लहजे से आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत हुआ  है, की आप लोगों का प्यार इस " देहाती " गवांर पर मेहरबान होगा.  इसमें मिली त्रुटी को कृपया समझाने की कृपा करें

मैं इस बार भी अपनी अल्प ज्ञान से टूटी-फूटी लहज़े के साथ आप लोगों के ख़िदमत में पेश कर

रहा हूँ कुछ पंक्तियाँ .अगर पसंद आये तो हौसला अफजाई करियेगा और न पसंद आये तो कृपया सुझाव दीजियेगा.
 आप लोगों का शुभचिंतक  अमित देहाती


मेरा यार गया ,दिलदार गया !
हंसके पल में मुझे मार गया ,
मरके भी आँखे निहारती है .
जबसे करके इन्कार गया.

हर जुर्म सहा , हर दर्द लिया .
हर लम्हा दूआं बस अर्ज़ किया ,
फिर भी वो मेरे हो न सके .

ऐसे ठुकरा कर प्यार गया.

मेरा यार गया दिलदार गया ..
हंसके पल में मुझे मार गया ..

जबतक वो मेरे पास रहा
तबतक जीने की आश रहा ,
जीवन भर साथ निभाने को ,
देकर पल-भर का प्यार गया .


मेरा यार गया दिलदार गया ..
हंसके पल में मुझे मार गया ..


तनहा कटना दिन मुश्किल है ,
तनहा रहना भी मुश्किल
यूँ झटके में ओझल होकर ,
इस दिल पर करके वार गया.


मेरा यार गया दिलदार गया ..
हंसके पल में मुझे मार गया ..


तक़दीर से बाजी खेली थी ,
तुमको हासिल कर सकता हूँ ,
वो न रहके भी जित गयी ,
रहके भी “देहाती ” हार गया .

मेरा यार गया दिलदार गया ..
हंसके पल में मुझे मार गया ..

 अमित देहाती 

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