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“शेरों के शेर”……….

Kuran ko Jalaa Do ... BuT क्यूँ ?
Kuran ko Jalaa Do ... BuT क्यूँ ?
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प्रिय अबोध जी !

मैं जब भी आपको VISIT करता हूँ तो एक नई उमंग भर आती है ……….और हाथ में खुजली सी होने लगती है|
मगर अफ़सोस की बकवास शायरी के अलावा और कुछ नहीं हो पाता….

क्या खूब लिख रहे हो भईया शायरी का शेर …….
jj से कल्टी ले लिए हम-देख रौशनी के शेर………

दिमाग में अमिर और ग़ालिब का competition होने लगता है जिसमे | एकदम महफ़िल शबाब पर होती है . कही राही जी, कही बसीर बद्र जी , कही फ़िराक गोरखपुरी | क्या गजब का माहौल हो जाता है | इन दिगज्जो के बिच होस्ट मुझे ही करना पड़ता है और नतीजतन एक बकवास शायरी कहने का मौका मुझे भी मिलता है |
तो अर्ज किया है ………

मत पूछ की क्या हाल है मेरा तेरे पीछे ………………………..

मुलायजा फरमाइए ……..

मत पूछ की क्या हाल है मेरा तेरे पीछे …………………………
कछुआ जलावो मच्छर भगाओ ,……………. इतना पीछे पड़ने की क्या जरुरत ………

हे हे हे हे हे हे ………………………….

ये तो मजाक कर रहा था , मै सोचा शायद मैं भी सचिन भईया की तरह…………..अरे नहीं नहीं उस महान हस्ती से मेरी तुलना ……………..नहीं ईईईइ ईईई ईईइ ………

खैर ———शायरी तो आप लोग सुनलो , फिर इसके पीछे का राज़-ए-हालात बयां करूँगा ……

तो अर्ज किया है …….

मत पूछ की क्या हाल है मेरा तेरे पीछे …..
मुझे माफ़ कर दो बेगम , तेरे कपडे अबतक नहीं फिचे …..

सचिन भईया टेंसन नहीं लेने का अपुन सब सम्हाल लेगा | सबके घर में यही होता है | शादी से पहले सभी तीस मार खां बनते है और शादी के बाद मछर मार खां | और एक चीज़ आपको बता दूँ एक दम सीक्रेट रखना है किसी से भी नहीं बताना है क्यूंकि अपने ख़ास आदमी का मामला है | फिर आपको सुकून मिलेगा |

एक दिन बाज़ार में मैं सब्जी के लिए गया तो देखा की एक औरत अपने हसबैंड का बैंड बजाने में लगी है | मैं थोडा करीब गया तो वहाँ का मामला ही कुछ और था | वहां वो वाली बात थी , बारिश में पसीना ,क्या कहना ……..इस ठंढी में वो औरत पसीने से भीगी थी और साथ वाला आदमी भी………और सब्जी वाले को हजार-हजार के नोट मैडम दे रही थीं |.

माजरा कुछ समझ में नहीं आया | थोड़ी देर रुकने के बाद औरत अपने आदमी को कुछ इस अंदाज़ में कुछ कह रही थी …………

पता नहीं किस मिटटी के बने है ये , इसी लिए मैं इन्हें बाज़ार नहीं लेकर आती. छोटी – छोटी बातो पे भड़क जाते है, ऐसा लगता है शोले का ही बने है …………………………..
अब बात थोड़ी-थोड़ी समझ में आ रही थी ………..

फिर मै थोडा और करीब गया , मै भी पसीने से भींग गया | फिर मैं उस औरत से बिनम्र भाव में पूछा भाभी जी क्या हुआ आप पसीने से तर हैं और ये महोदय भी, आखिर माजरा क्या है ? वैसे भाभी बहुत अच्छी थीं , फिर उन्होंने बताया ……..

जानते है ये सब्जी वाला थोडा सा सामान महंगा करके देने लगा तो ये मेरे जो हसबैंड है गुस्से में लाल हो गए और नतीजा सब्जी वाले की सारी सब्जी यही प़क गई यानी जल गई | जाओ देखो ……………….अब उस गरीब को सब्जी का मुआवजा देना पड़ा | फिर मुझे उस आदमी का चेहरा कुछ जान पहचान का लगने लगा | अपने दिमाग में उस चेहरे पर चश्मा लगाया और सामने पाया अपने महामहिम अंगार श्री राजेन्द्र रतूड़ी जी .

उन्होंने अपना चश्मा शायद रात की वजह से लगाया नहीं था इस लिए पहचानने में दिक्कत हो रही थी | तब दिमाग पूरा का पूरा चलने लगा और माज़रा समझ में आ गया | बहुत बुरा हाल है … वैसे अगर महगाई पे राजेन्द्र भईया भड़के होंगे तो कोई गलत नहीं है ………………………………………..
बीवी की बात सुन-सुनकर राजेंद्र भईया को रहा नहीं गया और बोल पड़े….

अर्ज़ किया है ……..

मत पूछ की क्या हाल है मेरा तेरे पीछे …..
तेरे सब्जी ढोवाने से भी मेरी आग न बुझे .

हे हे हे हे हे …………………….
आपलोग कुछ बुझे ????????????
नहीं न >>>>>>>>>? आगे बढिए …………

अब वक्त था सब्जी लेके वापस आने का | रास्ते में एक बहुत ही चर्चित मंच पड़ता है, मैं उधर से गुजर रहा था तो देखा मरकरी की “रौशनी” से पूरा का पूरा एरिया जगमगा रहा है ………….| मेरे मन में गुदगुदी होने लगी की चल के देखते है | लग रहा है कोई अच्छी नाच मंडली आई है ………|
जाते ही देखकर दंग रह गया ……………………………………

उस मंच का सीन………

एक तरफ से आकाश तिवारी जी , वाहिद जी, अबोध जी , मिहिर जी , शाही जी, अपने भ्राता श्री पियूष जी, राशिद भाईजान , राजकमल जी , मनोज मयंक जी ……..और भी महारथी शामिल थे |

और दूसरी तरफ से …… माता श्री निशा जी , रौशनी जी , दिव्या जी , अलका जी ,अमिता जी और भी लोग थे …………………………………………..

एक दम मेहफ़िल खचा खच भरी थी | बाद में पता चला की jj के तरफ से एक competition कार्यक्रम रखा गया है . कार्यक्रम का नाम था “शेरों का शेर “.
और कार्यक्रम का condition था की जनाब ग़ालिब द्वारा लिखी शायरी ….

मत पूछ की क्या हाल है मेरा तेरे पीछे ,

इसमें दुसरे लाइन की तुकबंदी आपको कंपोज करके बोलनी है , और जेंट्स अपने बीवी के लिए लाइन बनायेंगे , और लेडिज अपने शौहर के लिए | जिसका सबसे दमदार लाइन होगा उसको “शेरों के शेर” नाम की उपाधि से नवाजा जायेगा ………

मेरे भी मन में खलबली मची हुई थी और दिमाग में शेरों का महाबली शेरो का महाखली तैयार हो रहा था | खुद को कोस भी रहा था की मैं इतना अच्छा शायर होके भी jj पे अपनी पहचान नहीं बना सका वरना मुझे भी मौका मिला होता | मन ही मन सोच रहा था की काश मैं भी होता …….


 खैर मैंने भी ठान लिया की जित तो मेरी ही होगी चाहे कुछ भी करना पड़े ...........

अब शुरू हुआ महां संग्राम ……..

आकाश तिवारी –
अर्ज़ किया है –

मत पूछ की क्या हाल है मेरा तेरे पीछे ……….
हर ग़ज़ल लिख डालूंग बेगम तेरे पीछे ………

हे हे हे …. वैसे भी आप अपनी सारी ग़ज़ल बीवी को सामने बैठा के लिखते तो नहीं होंगे | इसमें कौन सी आश्चर्य वाली बात है ….

निशा जी –
अर्ज़ किया है –

मत पूछ की क्या हाल है मेरा तेरे पीछे …….
हर दर्द सहेंगे प्राणनाथ हम साथ जीते-जीते …

हे माते ! एक सच्ची भारतीय नारी की यही ख्वाइश होनी चाहिए | हर मुश्किल में अपने प्राणनाथ का साथ देना चाहिए ……..

वाहिद जी –
अर्ज़ किया है –

मत पूछ की क्या हाल है मेरा तेरे पीछे ….
बेगम यहाँ हर शख्स है दीवाना तेरे पीछे …..

( भाभी जी गुस्ताखी माफ़ अगर आप पढ़ी होंगी मेरा पोस्ट तो )
वैसे भाईजान पत्नी वैसी ही होनी चाहिए जैसे….जिस रस्ते से तू गुज़रे वो फूलों से भर जाएँ ………..

रौशनी जी –
अर्ज़ किया है –

मत पूछ की क्या हाल है मेरा तेरे पीछे …..
jj पे सबसे आगे हूँ जानू तू क्यूँ पीछे ……..

रौशनी जी आपकी ही वजह से सारी मेहफ़िल रौशन थी …
आप अपने जानू यानि प्राणप्रिय को अपडेट करिए और पक्षियों के जगह उनको साथ में रखिये फिर देखिये दुनिया का सबसे प्यारा शौहर आपको सबसे आगे नजर आयेंगे (गुस्ताखी माफ़ )…….

अबोध बालक जी –
अर्द तिया है –

मत पुथ ती त्या हाल है मेरा तेरे पीथे…..
बालत न थमध तू भी तभी होदी मेरे पीथे…….

चल चल ज्यादा होशियार मत बन हम सभी जान गए है की तू बहुत सयाना है बस लोगों को बेवकूफ बनाता है . अच्छा है की तू अपनी बीवी के पीछे रहता है . jj पर तीस मार खां बनता है ……….

दिव्या जी –
अर्ज़ किया है –

मत पूछ की क्या हाल है मेरा तेरे पीछे …..

फिर भी मैं कुर्बान हूँ ओ सनम तेरे पीछे ………

दिव्या जी जो मेरा ख्याल है वही ख्याल आपका भी हो तो वो इन्शान दुनियां का सबसे खुशनशीब पति ( शौहर ) होगा .

मिहिर जी –
अर्ज़ किया है –

मत पूछ की क्या हाल है मेरा तेरे पीछे……

किस कर या किल कर फिर भी रहूँगा तेरे पीछे ……

वाह मिहिर जी आपने तो हम मर्दों की इज्जत बचा ली वरना ……….
एक पति की भी भावना यही होनी चाहिए ………

अलका जी –
अर्ज़ किया है –

मत पूछ की क्या हाल है मेरा तेरे पीछे ….
मुसीबत में भी तोडूंगी न ये प्यार के धागे ……

वाह अलका जी बहुत बढ़िया ………..एक अर्धांगिनी का यही ख्याल होना चाहिए .

भ्राता श्री पियूष जी –
अर्ज़ किया है –

मत पूछ की क्या हाल है मेरा तेरे पीछे ….
भागने की चाह पूरी हुई जानू तेरे पीछे ……

हा हा हा हा ……. चलो अच्छा हुआ, जो बचपन की ख्वाइश थी वो पूरी हो गई ……… धन्यबाद भाभी जी आपकी वजह से हमारे भ्राता श्री की मनोकामना पूरी हुई .

अमिता जी –
अर्ज़ किया है –

मत पूछ की क्या हाल है मेरा तेरे पीछे ….
मगर वफ़ा-ए-प्यार का कभी न तोड़ेगें ……

अमिता जी बहुत बढ़िया ख्याल, उत्तम विचार …….

अभी तक औरतों का पलड़ा भारी था | दमदार प्रस्तुति की तूती बोल रही थी ….अफ़सोस हो रहा था की हमारे राजेन्द्र भैया होते तो दो पैग की जरुरत होती और सभी फुर्र हो जाते | या सचिन allrounder होते तो एक दम कप तो अपने हाथ में था | लेकिन मैंने भी ठान लिया था की उनलोगों की लाज रखनी है मुझे ………

मैं एकदम परेशान हो गया की क्या करूँ …….अब ये तो हरा ही देंगे फिर मै चुपके से मंच के सामने पहुंचा, किसी तरह से राजकमल भाई को इशारों से बुलाया ( चांस उन्ही का था ) और उनसे कहाँ की देखिये भाई साहब अब आप लोग हरा दोगे और फिर कल से रौशनी ही रौशनी होगी | आप jj पे कही दिखाई भी नहीं दोगे | एक नेक सलाह है बात मान लो …….


 राजकमल भाई को कुछ ज्यादा ही अपने ऊपर विश्वास था . मैंने थोडा सा दिमाग दौड़ाया और यूँ ही बोलने लगा ........राजकमल भाई को अच्छा लगा कहे ठीक है मै बोलूँगा लेकिन किसी को बताना नहीं है की मैंने चोरी की है ....

मैंने कहा नहीं राजकमल भाई आप टेंसन मत लो …..

मुझे तो अपनी इज्जत बचानी थी ताकि हम भी jj पर अपनी उपस्थिति के काबिल रह सके …….

फिर देर किस बात की ………वही सचिन भैया वाला ……..

राजकमल जी –

अर्ज़ किया है –

मत पूछ की क्या हाल है मेरा तेरे पीछे ….
मुझे माफ़ कर दो बेगम, तेरे कपडे अभीतक नहीं फीचे …..

और फिर देर किस बात की थी गेंद सीधे सीमा रेखा के बाहर छे रनों के लिए .... 

चारों तरफ तालियों की गडगडाहट से मेहफ़िल गूंज उठा …………..
इस तरह सभा का समापन हुआ और “शेरों के शेर” के ख़िताब से नवाजें गए हमारें राजकमल भैया ……….

आप सभी ब्लोगर्स से मेरा यानि अमित देहाती (गवांर) का बिनम्र निवेदन है की मेरे द्वारा लिखे गए लेख में कही भी कोई आपत्ति जनक शब्द मिले तो कृपया आप मुझे बता सकते है . और मै उसे सुधारूँगा . या यदि किसी भी आदरणीय महानुभाव को इस पोस्ट से आपत्ति हो तो कृपा करके बताये .

                                         आपलोगों का अपना अमित देहाती 

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