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आप सभी आदरणीय को मेरा प्रणाम स्वीकार हो !!!!!
क्या पैसा इसकदर बेरहम हो जायेगा ? कृपया निचे पढ़ें और अपना विचार व्यक्त करें !
एक बार फिर मेरे अल्प-ज्ञान ने गुस्ताखी की है | और नतीजा आप लोगों के सामने ……थोडा सा इधर उधर करके समझ लीजियेगा आप लोग .
आदरणीय ,
बहुत ही दुःख के साथ लिखना पड़ रहा है की लोग पैसे के अहमियत के आगे सब कुछ भूलते जा रहे हैं .
मुझे चिंता तब की हो रही जब लोगों से अपेक्षाएं बढ़ जाएगी कीमती गिफ्ट लेने की . ….| क्या होगा उस समय …?
हर सोसाइटी में हर किसी के अमीर रिश्तेदार होते हैं और गरीब भी .| तो क्या आमिर की पार्टी में गरीब रिश्तेदार जाना बंद कर देंगे ?
आने वाले उन दिनों की फ़िक्र हो रही है , जब लोग पैसे की वजह से अपने प्रिय मित्र, रिश्तेदार , यहाँ तक की कुछ ऐसे है जिनके लिए दोस्त ही सब कुछ है, उनके प्रेम की बलि देनी पड़ेगी | क्या होगा उनका ?
अपने शानो शौकत के पीछे अपने प्रियजनों को भूल सकते है | मुझे शर्म आ रही है की ऐसे भी लोग हैं जो अच्छे गिफ्ट के लिए झूठी शानो शौकत के पीछे सब कुछ भूल सकते है |
अगर गरीब प्रेमी हो और प्रेमिका अमीर हो दोनों एक दूजे के बिना नहीं जी सकते . ….फिर क्या होगा उनका , क्या प्रेमिका की पार्टी में प्रेमी नहीं आएगा ? क्या इस तरह हम संस्कृति और अपने समाज को भ्रष्ट कर सकते है ? क्या पैसा ही सब कुछ हो जायेगा ?
उस पार्टी ने मुझे कई मुद्दों पर बहस करने को बाध्य कर दिया …..| ऐसा नहीं है की मै हतास हूँ बल्कि मुझे बहुत कुछ सिखने को मिला उस पार्टी से |
रही बात भावनाओं की तो वैसे भी इसको समझने वाले बहुत कम ही बचे है |
खैर मैं आप लोगों से राय लेना चाहूँगा इस विषय पर ….. धन्यवाद !
आप लोगों का अल्प-ज्ञानी अमित देहाती (गवांर ) थोडा सा टाइम खोटा करेगा …… जिसके लिए मैं माफ़ी चाहूँगा |
एक बात और ये पंक्तिया मैंने उसे गिफ्ट किया था लेकिन बेकाम साबित हुई |
धन्यवाद !
आप लोगों का शुभचिंतक
अमित देहाती
फूलों सा खिला , खुशियों से भरा .
सुख शांति का अम्बार रहे
दुःख पास न हो शुख की आस न हों
अधरों पे ख़ुशी का सार रहे …..
ऐसा ही मन कुछ कहता है ….
तेरा खुशनुमा संसार रहे ….
बड़ी मुद्दत से दिन आया है ,
खुशियों का माहौल भी छाया है .
सब बाँट लो खुशियाँ मिल-जुलकर .
मन हर्षित यूँ ही हर बार रहे …
ऐसा ही मन कुछ कहता है ,
तेरा खुशनुमा संसार रहे….
तुम हटो नहीं कभी मुस्किल से ,
डट करके जित लो हर मुश्किल .
मुश्किल को मुश्किल रहने दो ,
ये लालच तुम्हे हरबार रहे …
ऐसा ही मन कुछ कहता है ,
तेरा खुशनुमा संसार रहे.
इन चन्द पंक्तियों के पीछे एक छोटी सी स्टोरी है , जो मैं सोच रहा हूँ की आप लोगों के बिच इसे शेयर करना चाहिए .–
मेरे दोस्त का बर्थडे था और मुझे निमंत्रण मिला था | मैं पहुंचा तो अभी कार्यक्रम में टाइम था | वैसे तो मैंने गिफ्ट लिया था लेकिन बाकियों के सामने मेरा गिफ्ट फीका था जबकि वो मेरा बेस्ट फ्रेंड था | मै सोचा यार दोस्त का बर्थडे है , यहाँ तो मेरी इज्ज़त की वाट लग जाएगी और मेरा दोस्त भी मेरी वजह से शर्मिंदा होगा |
फिर मेरे अल्प-ज्ञान ने मुझसे कुछ कहा …. …….जो मुझे अच्छा लगा | मैंने सोचा चलो यार गिफ्ट जो है सो तो है ही , थोडा अल्प ज्ञान की बात मान ली जाए शायद बात बन जाए . लेकिन कुछ नहीं हुआ सिवाए शर्मिंदगी के | आलम ये था की कोई सुनना ही नहीं चाहता था | मेरे दोस्त के काफी रेकुएस्ट पर लोगों ने थोड़ी सी शांति बनाई लेकिन फिर भी,, शायद किसी को पसंद नहीं आया ऐसा मुझे लगा और मैं रुशवा हुआ ……….तबसे कही भी महफ़िल में बोलने की आदत ही चली गई …|
बाकि आप लोग समझदार हो , आपलोग समझ सकते है की मेरे ऊपर क्या गुज़रा होगा ?
अगर यहाँ रूश्वाई मुझे मिलती है तो कोई गम नहीं क्यूंकि मुझे पता है की उसी काबिल हूँ | लेकिन मैं कभी किसी बात को लेके टेंसन नहीं पालता ये मेरी कमी है |
अमित देहाती क्षमा चाहूँगा , कृपया तार्किक प्रतिक्रिया करें ! आप लोगों की टिप्पड़ी की जरुरत है अपनी लेखनी को सुधारने के लिए ! धन्यवाद !
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