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“दिल बहलाए बैठे है …-Valentine Contest”

Kuran ko Jalaa Do ... BuT क्यूँ ?
Kuran ko Jalaa Do ... BuT क्यूँ ?
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आप सभी पाठक को मेरा प्यार भरा नमस्कार !

जैसा की आप सभी जानते है , वैलेंटाइन डे का दौर चल रहा है | सभी अपने अच्छे बुरे दिनों , अच्छे बुरे यादों में डूबकी लगा रहें हैं | इस प्यार रूपी अमित सागर में अपनी-अपनी भावनाए , अपने-अपने विचार अच्छे-अच्छे शब्दों के श्रृंखला से व्यक्त कर रहें है | वैसे तो इन महान हस्तियों के सामने मै कुछ भी नहीं, लेकिन ये प्यार शब्द सुन के कुछ-कुछ होने लगता है | और मन में गिटार बजने लगते हैं | तो मैंने सोचा जब सब डूब रहे है इस प्यार रूपी महासागर में , तो मैं यहाँ अकेला रहके क्या करूँगा , चलो डूब मरों|


बस अपने अल्प-ज्ञान से कुछ लिखने की कोशिश की है | वैसे प्यार के बारे में लिखने की काबिलियत मेरे पास नहीं है , फिर भी कोशिश किया है ….|

नहीं है मेरे लिए |

 आप लोगों का शुभचिंतक
                                                अमित देहाती 

किसी की याद में पलके बिछाए बैठे हैं ,
किसी को भूलने के हस्र सजाये बैठे हैं |
किसी के इंतज़ार में सूखे आँखों का समंदर ,
और किसी के आहटों से दिल बहलाए बैठे है |

हाँ यही प्यार है ...

हमने हरवक्त मुहब्बत को ख़ुदा माना है ,
मिला महबूब के सूरत में तो पहचाना है |
न इसका रूप है कोई न इसका रंग है कोई ,
न इसमें दूर हैं कोई न इसके संग है कोई |

वर्षों से बस यहीं बात आजमायें बैठे है ,
के, किसी के आहटों से दिल बहलाए बैठे है |

शायद यही प्यार हैं ....

हुआ पैदा तो माँ के दूध से मोहब्बत लगी रही ,
उम्र बढ़ता रहा और संग मोहब्बत बढती रही |
नज़र जब खुद ही हर चीज़ को पहचानने लगा ,
किसी के भावनाओं को , ठीक से जानने लगा |

,
के, किसी के आहटों से दिल बहलाए बैठे है |

ये हकीकत है .....

कुछ उम्र ढला दोस्तों से दोस्ती बन गई ,
पुरुष भी दोस्त बन गए, नारी भी बन गई |
पुरुष से जो किया था, लोग प्रेम कह दिए ,
नारी से जो किया तो,  मोहब्बत जगह दिए |

, दबाये बैठें है ,
के, किसी के आहटों से दिल बहलाए बैठें है |

ये तो होना ही था ......

क्या उम्र है जवानी का, मुझको खबर नहीं ,
सुना है मोहब्बत का, कोई उमर नहीं |
फिर लोग जवानी को, क्यों है गलियां देते ,
आशिक के आशिकी पे भी, हैं तालियाँ देते |

में दिल, गवाएं बैठे हैं ,
के, किसी के आहटों से दिल बहलाए बैठे है |

इश्क में ऐसा ही होता है .....

कोई प्यार में बदनाम न हुआ, तो बता दे ,
जो दिल न दी हो जख्म तो, उस दिल का पता दे |
मैंने सुना है प्यार दगाबाज़  “अमित” है ,      (अमित=असीमित, बहुत )
या दगाबाज़ को ख़राब समझ ली ये खता है |

, बताये बैठे है ,
के, किसी के आहटों से दिल बहलाए बैठे है |

      प्यार से कोई अछूता नहीं है ......

किया महसूस हर उमर में, मोहब्बत की बदरियाँ ,
फासला नहीं बर्दास्त है , मोहब्बत के दरमियाँ |
माता हो या पिता हो , बहना हो या भाई ,
सगे सम्बन्धी हो या ,
महबूब की परछाई |

प्यार है बदलता रंग , समझाए बैठे है ,
के, किसी के आहटों से दिल बहलाए बैठे है |

प्यार अपना कैरेक्टर बदलता रहता है ……

कोई दिन रात मोहब्बत में बशर करता है ,
पत्थर को मोम कर दे, ऐसा ये असर करता है |
राहें काटों
का हो या, हो कोई मखमल की डगर ,
गर्दिशों में भी चैन दे दे , मोहब्बत हो अगर |

जलाये बैठे है ,
के, किसी के आहटों से दिल बहलाए बैठे हैं |

          हाँ प्यार ऐसा ही होता है ......

अमित देहाती

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