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Love You Sanno ……..बहुत याद आती हो !!!!!!!!
अपना सुझाव जरुर दें !
“प्यार से कोई बच नहीं सकता है ये अटल सत्य है “
(प्यार के बिना जीवन नीरस है)
वैसे तो प्यार की परिभाषा के बारे में हर विद्वानों का अलग-अलग मत होता हैं | और इस विषय पर हमारे आदरणीय भ्राता श्री पियूष जी लिख चुकें हैं | और हर विद्वानों का मत भी उन्होंने बखुबा प्रस्तुत किया है |
लेकिन मैं अपने अनुभव को आप सबसे साझा करना चाहूँगा ! कृपया अपना भी राय व्यक्त जरुर करें !
जैसा की आप सभी जानते है प्यार अपने आप में ही अधुरा हैं | अगर प्यार के बारे में हम कुछ कहे भी तो अधुरा ही कहेंगे |
प्यार की शुरुआत होती है आँखों से, प्रायः ऐसा ही होता है, लेकिन मोहब्बत उन्हें भी होती हैं जिनके आँखें नहीं होती | तो यहाँ हम कह सकते है की प्यार मन की एक अजीव भावना है , जिसको पृथ्वी लोक में उपस्थित हर प्राणी महसूस करता है ! आप लोगों का ध्यानाकर्षण चाहूँगा !
प्यार शायद हमें विराशत में मिला वह एक अनमोल तोहफा है जो हमारे जन्म के साथ जन्म लेती है और हमारी मृत्यु तक हमारा साथ निभाती है |
मेरे विचार से शायद प्यार के बिना जीवन की कल्पना असम्भव है | प्यार पैदा होने वाले हर प्राणी को होता है | जहाँ तक मुझे पता है प्यार का विलोम शब्द अबतक के शब्द-कोष में नहीं है ,क्यूंकि इसका उल्टा कुछ होता ही नहीं | प्यार हर जगह विराजित है | प्यार भगवान की तरह है ! प्यार कड़-कड़ में है | प्यार किसी जगह से क्षणिक समय के लिए गायब होती है तो वहां की दशा नाना प्रकार के शब्दों से परिचित होता हैं ! जैसे -दुःख , पीड़ा , झगडा , इर्ष्या , क्रोध | अब आप लोग ये बताइयें ये सभी शब्द जितने मैंने गिनाये है ये सभी के सभी प्यार के गायब होते ही हाबी हो गई | तो आप कह सकते हैं की ये सभी प्यार के विलोम शब्द है | लेकिन प्यार का विलोम एक ही कोई होगा इतना सारा नहीं होता |
जहाँ तक मेरा विवेक काम कर रहा है |
प्यार तो सभी प्राणी को होता है , लेकिन मनुष्यों का प्यार , अबतक के दिमागी हरकत में से सबसे विचित्र और सबसे ताकतवर हरककत मुझे लगता है ! (आप लोगों की इज़ाज़त चाहूँगा) मतलब अगर साधारण शब्दों में कहें तो यह एक मानशिक वीमारी है जो हमेशा विचार के साथ तालमेल बनाये रहती हैं , और दिमाग को अपने तरीके से संचालित करते रहती हैं |
अगर हम दिमाग की बात करें और दिमाग से प्यार को निकाल दें तो हमारा दिमाग मर जायेगा | क्यूंकि दिमाग का सारा क्रिया कलाप “रूचि (इंटेरेस्ट) से होता है | और रूचि जन्म लेती हैं, देखने या महसूस करने से | देखने और महसूस करने के बाद अजीवो-गरीब भावनाए (विचार ) जन्म लेती हैं और उन्ही भावनाओं में प्यार विराजित होता है , मतलब उपस्थित होता है | जिस प्रकार भावनाओं को केवल महसूस किया जा सकता हैं उसी प्रकार प्यार को भी | भावनाएं और प्यार में फर्क ये है की भावनाओं का केवल एक रूप होता है विचार ….., जबकि प्यार का अनेक रूप !
प्यार विचारों के साथ अपना रूप बदलता रहता है |
हाँ तो अब हम कुछ अधूरे निष्कर्ष पर पहुंचे हैं | प्यार सबको होता है , मैं ऊपर भी लिख चूका हूँ की इस पृथ्वी पर जन्म लेने वाले हर प्राणी को प्यार होता है !……
लोग कहते है प्यार एक हवस है ……! उनका कहना भी गलत नहीं है , क्यूंकि मैंने लिखा है की प्यार अपना रूप (करेक्टर ) बदलते रहती है | प्यार को केवल महसूस किया जा सकता हैं ,| अगर इसमें कुछ पाने की इक्षा होती है तो वो प्यार नहीं उसे एक तरह का सौदा कहेंगे जो दोनों तरफ के आदान-प्रदान के बाद अनुबंध ख़त्म हो जाता है | मतलब चाहे जो भी हो प्यार न दिया जा सकता है न लिया जा सकता ! यह केवल दिमाग को संतुस्ट करने वाली एक प्रक्रिया है | जो हमारे विचारों के माध्यम से व्यक्त होती है ! प्यार का दिल से कोई वास्ता नहीं होता, इसका रिश्ता सीधे दिमाग से होता है |
अगर हम प्यार को एक तरह की बीमारी कहे तो कोई हर्ज़ नहीं | क्यूंकि प्यार चिंता को जन्म देती है और मनुष्य के लिए सबसे घातक वीमारी चिंता ही होती हैं |
इसपे कबीर दास जी ने कहा भी है की —–
चिंता से चतुराई घटे , दुःख से घटे सरीर .
पाप से विद्या घटे , कह गए दास कबीर ….|
अगर हम थोड़े गहराई में जा कर देखें तो कबीर की सारी बातें प्यार से उत्पन्न होती है | मतलब हर रोग की जड़ प्यार ही है |
प्यार एक अदृश्य शक्ति है जो मनुष्य एवं मनुष्य के विचारोंको नाना प्रकार के रूपों में परिवर्तित करती रहती है ……………….
मैंने महसूस किया है ………...
अगर वैलेंटाइन वाला प्यार की बात करें तो ……..सुरुआत होती है अट्रेक्सन से और वो अट्रेक्सन हवस होती है , कुछ पाने की इक्षा होती है | लेकिन ये हवस धीरे-धीरे प्यार का रूप ले लेती है जहाँ सारी फिजकली, मेरा मतलब है सदृश्य इक्षाएं ख़त्म हो जाती है | और केवल प्यार ही प्यार होता | ऐसा जी करता है की जानू हरवक्त मेरे नजरों के आगे ही रहें !
इस अल्पज्ञानी के अधूरी प्यार की परिभाषा पे अपनी सुविचारों के द्वारा इसे पूरा करने में सहयोग करें !
अपना सुझाव जरुर दें ! धन्यवाद !
आप सबका शुभचिंतक
अमित देहाती
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