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लगाम, समाज में फैलती कुकृत्यों पे !!!

Kuran ko Jalaa Do ... BuT क्यूँ ?
Kuran ko Jalaa Do ... BuT क्यूँ ?
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आप सभी पाठकगण को सादर प्रणाम !!!
अगर इस ब्लॉग से किसी को किसी भी प्रकार की असहजता महसूस हो तो वो कृपया सुझायें।


मेरा अनुभव !!!

आज हो रहे युवा पीढ़ी में अनैतिक कार्य जैसे यौन सबंध , समाज में फ़ैल रही कुकृतियाँ इस बात का अंदेशा है की कल और बुरा होगा । और इस में कारण है उम्र की पाबन्दी ……!!!!

मेरे ख्याल से इसको रोकने का एक ही रास्ता है जो निम्नलिखित है ….

अगर मेरी आवाज सरकार तक पहुचे तो , मै यहीं सलाह देना चाहूँगा की दोनों अर्थात लड़के और लड़की की शादी की उम्र टीनेज में ही निर्धारित कर दी जानी चाहिए और मिनिमम उम्र १६ कर देनी चाहिए ….क्यूंकि यही उम्र होती है जिसमे कोई बच नहीं पाया । और कोई खुद को रोक नहीं पाता विपरीत लिंगी से …।

मुझे लगता है की इससे समाज में बहुत सारे सुधार होंगे और संस्कृति भी सुरक्षित रहेगी.

आइये जाने ये मशवरा कितना साही है और कैसे …..?

१- इस उम्र में लगभग सभी सिनिअर सेकंड्री के इर्द गिर्द रहते है । इस उम्र में शारीरिक एवं मानशिक विकाश चरम पे रहता है ।

२- इस अवस्था में सबसे ज्यादा किशोर एवं किशोरियां सेक्स के बारे में ज्यादा सोचती है।

३- अगर पेरेंट्स इस समय अपने पुत्र/पुत्री की शादी किसी से तय कर दें तो ९० परसेंट किशोर/किशोरियां गलत संगत से बच जाएँगी. कारण ये है की उस उम्र में पेरेंट्स जिस तरह से चाहेंगे और जैसा आप्सन देंगे वैसे बच्चों को स्वीकार हो जायेगा क्यूंकि ये उम्र ही वैसी है की बिपरीत लिंगी जैसा भी हो अच्छा लगता है। और पेरेंट्स ढूढेंगे तो सही ही ढूढेंगे ।

४- जब बच्चों का दिमाग एक तरफ केन्द्रित हो जायेगा तो उसकी पढाई भी अच्छी होगी ।

५- इस उम्र में जो फिक्स हो गया वो किसी और के तरफ ध्यान नहीं देता । और साथ साथ बच्चे अपने अति उत्तेजित अवस्था से बाहर आ जायेंगे उस उम्र की सीमा को पर कर जायेगें और उन्हें पता भी नहीं चलेगा । उसके बाद उनको शारीरिक आकर्षण जो होता है विपरीत लिंगी के तरफ वो बहुत कम हो जायेगा। इससे समाज में दुराचार भी ९८ परसेंट कम हो जायेगा।

६- आज हो रहे समाज में दुराचार रेप के पीछे एक ही कारण है | उदाहरण के तौर पर- कोई खूब भूखा, कई दिनों से उसको खाने नहीं दिया जा रहा , अचानक उसको मौका मिलता है खाने का तो वह कुत्ते और गीधों की तरह नोच-नोच के खायेगा क्यूंकि वह भूखा है । ठीक उसी तरह सामाजिक बंधनों की वजह से लोगों को वह सब नहीं मिल पाता जिसकी जरुरत प्रकृति पैदा करती है उम्र के अनुसार । जैसे ही लोगों को मौका मिलता है दुराचार को अंजाम दे देतें है…

७- आज के बच्चे ही कल के दुराचारी होते है ……इस लिए हमें जरुरत है इस बात पर गौर करने की .

८- शादी शुदा लोगों के तरफ बहुत कम लोग ध्यान देते है । और जब सभी शादी शुदा नजर आएंगे तो किसी की ध्यान उस तरह से नहीं जाएगी जिस तरह से किशोरियों पे जाती है…।

हाँ हर चीज का एक साइड इफेक्ट होता है …उन बातों के लिए कड़े कानून बनाया जा सकता है जैसे –

१- जनसँख्या बृद्धि। इस पर रोक लगाने की लिए सरकार कोई कदम उठाये…

और भी इसके साइड इफेक्ट हो सकते है…

फ़िलहाल इतना ही …

अगर कोई भी त्रुटी हो तो कृपया क्षमा करें !

धन्यबाद !!!
अमित देहाती

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